बांध करके ह्रदय का द्वार 
इसको ना है किसीका इंतज़ार 
ना है इसको किसीसे ऐतबार 
खामोश होगई है प्यार  !
जो प्यार की भाषा ना समाज पाया वोह शायर  
कैसे हो उसको  किसीकी प्यार की खबर 
खोगाया है अँधेरे में होके बेखबर 
खामोश होगई है प्यार !
धड़कते अरमानो को छुपाकर
खुशिया सब भुलाकर 
जीवन की हर उम्मीद छोड़कर 
खामोश होगई है प्यार  !
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