Friday, April 25, 2008

क्या ऐसा हो सकता है ?

क्या ऐसा हो सकता है ?

क्या ऐसा हो सकता है ?
नज़र से नज़र टकराई
होटों से बातें लेहरआई
आँखों से शुरू हूवा ये सिलसिला….होट जो ना केहासका…नज़रों ने कर दिखलाए.
क्या ऐसा हो सकता है ?
लीके हैं आँखें चेहरे पे नूर
लगे होटों पे रेशम की डोर
गालों पे मेहकति फूलों की लाली
जो बात दिल ना केहा सक....ये अदाएँ कर्जायेन्गे....क्या ऐसा हो सकता है ?
-भावप्रीय

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