सच्च केहेने वालों को लोग मानते नहीं
सच्चाई की रास्ते में कबी फूल खिलते नहीं
दर्द भरी सच्चाई में कोई जीना चाहता नहीं
झूठे लोगों की ही दरबार है हर जगह
बेईमानी की हर जगह कदर
जूट की साम्राज्य में सत्य का निर्नाम
कहाँ गया वो गांधीजी का आदर्ष
सज्जन लोग कर रहें संघर्ष
कब होगा इन जैसे लोगों का नाश
कब मिलेगा इंसानियत को आस ..!
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