कभी तू हवा के पन्नों पर पैगाम लिख्ती है
कभी ठंडी हवा बनकर मनको छु जाती है
कभी तू ख़ामोशी में अपनी आवाज़ सूना जाती है
युहीं दूर बादलों में कही छुपके बैटी हैं
कभी सूरजके किरणों में , कभी बारीश कि बूंदों में बरसती है
कभी ना देखा है तुम्हें इन आखोंसे … फिर भी हर वक़्त तेरे आस पास होनेकी एहसास होती है !!
कभी ठंडी हवा बनकर मनको छु जाती है
कभी तू ख़ामोशी में अपनी आवाज़ सूना जाती है
युहीं दूर बादलों में कही छुपके बैटी हैं
कभी सूरजके किरणों में , कभी बारीश कि बूंदों में बरसती है
कभी ना देखा है तुम्हें इन आखोंसे … फिर भी हर वक़्त तेरे आस पास होनेकी एहसास होती है !!
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